विषय: मोक्षमार्गप्रकाशक (6th and 8th अधिकार) समय: 4 घंटे निर्देश:
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1. कुदेवों को मानने से कुछ भी फ़ायदा नहीं है उल्टा निम्नलिखित बिगाड़ होता है –
Question 2 of 25
2. Question
4 points
2.सच्चे वेष तीन प्रकार के है, अन्य सर्व वेष मिथ्या है. निम्नलिखित में से कौनसे सच्चे हैं –
Question 3 of 25
3. Question
4 points
3. निम्नलिखित में से कौनसे मुनियों के दोष है-
Question 4 of 25
4. Question
4 points
4.गुरु की संज्ञा और पूज्यपना किस-किसको होता है –
Question 5 of 25
5. Question
4 points
5.मुनियों के त्रसहिंसा का त्याग किस प्रकार होता है?
Question 6 of 25
6. Question
4 points
6. द्रव्य-गुण-पर्याय, प्रमाण-नय, व्याकरण-न्यायादि विषय का भी यथायोग्य ज्ञान आवश्यक है क्यूँकि –
Question 7 of 25
7. Question
5 points
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें(Fill in the blanks)
1. मुनिपद लेने का क्रम है – 1. __________ 2. __________ 3. __________ 4. __________ 5. __________
Question 8 of 25
8. Question
3 points
2. तत्त्वज्ञानी चरणानुयोग के अभ्यास से श्रावक-मुनिधर्म को साधते हुए जितने अंश में वीतरागता होती है उसे __________ जानते है, जितने अंश में राग रहता है, उसे _________ मानते है, सम्पूर्ण वीतरागता को परम ______ मानते है.
Question 9 of 25
9. Question
2 points
3. ______________ में बाह्य क्रिया की मुख्यता से वर्णन करते है, _________________ में आत्म परिणामों की मुख्यता से निरूपण करते है, परंतु करणानुयोग के समान सूक्ष्म वर्णन नहीं करते.
Question 10 of 25
10. Question
1 points
सही या गलत बताएं:
1.दान किसीको भी और किसी भी वस्तु का दिया जाए, पुण्य का बंध ही करता है.
Question 11 of 25
11. Question
1 points
2. सुगम क्रिया से उच्चपद होना बतलाए तो अवश्य ही कोई दग़ा है
Question 12 of 25
12. Question
1 points
3.यदि मुनि अल्प परिग्रह भी ग्रहण करे तो निगोद जाता है क्योंकि उच्च पदवी का नाम रखकर किंचित् भी अन्यथा प्रवर्ते तो महापापी है.
Question 13 of 25
13. Question
1 points
4. ज्ञानी जीव को करणानुयोग के अभ्यास से केवलज्ञान द्वारा देखे गए पदार्थों का जानपना होता है, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष ही का भेद है, भासित होने में विरुद्धता नहीं है.
Question 14 of 25
14. Question
1 points
5. कितने ही जीव द्रव्यादिक का विचार करते है व व्रतादिक पालते है, परंतु उनके अंतरंग सम्यक्त्व-चारित्र शक्ति नहीं है इसलिए उनको मिथ्यादृष्टि-अव्रती कहते है.
Question 15 of 25
15. Question
1 points
6. यदि कोई बहुत शास्त्रों का ज्ञाता जीव क्षायिक समयक्त्व का बुद्धिपूर्वक पुरुषार्थ करे, तो उसे क्षायिक सम्यक्त्व शीघ्र ही प्राप्त होता है
Question 16 of 25
16. Question
1 points
7. न्याय शास्त्रों में निर्णय करने का मार्ग दिखाया है.
Question 17 of 25
17. Question
1 points
8. प्रमाद में सुखी रहने में ही धर्म है, खेद हो तो धर्म के अर्थ उद्यम करना योग्य नहीं है.
Question 18 of 25
18. Question
1 points
9. जिनमत में तो यह परिपाटी है की पहले सम्यक्त्व होता है फिर व्रत होते है.
Question 19 of 25
19. Question
1 points
10.अव्रती को करने योग्य प्रभावनादि धर्मकार्य और चैत्यालयादि बनवाने रूप कार्यों का अधिकारी यदि व्रती होकर भी होएगा, तो पाप ही बांधेगा.
Question 20 of 25
20. Question
1 points
सही जोड़ियाँ मिलाएं (Match the columns):
1. जैसे कोई वेश्यासक्त पुरुष धनादि को ठगाते हुए हर्ष मानता है